जिस कुंभ में समाज को आत्मिक चिंतन और अपने मूल को समझना चाहिए / देखना चाहिए.. उस कुंभ में लोग किसकी आंखें सबसे सुंदर ,कौन से बाबा क्या करते है देख / खोज रहे है .. आखिरकार किसे बेवकुफ बना रहे समाज को या गंगा को पाप तो हमारे मन से होते हैं देह से नहीं और गगा तो देह को धोती है मन को नहीं..! ©Deepa Jain Kumbh...