Nojoto: Largest Storytelling Platform

अरमानों के बहते धारों को अपने समंदर में तुम भर लेन

अरमानों के बहते धारों को
अपने समंदर में तुम भर लेना 
न बिखरे यह वह आंचल में 
आकाश गगन सी वेदना...
न रौंदना मेरे मौन को
बिखरा पड़ा है सब यहां
चुभ जाए न कोई शूल तू
तेरे कदम तू रोकना...
तू देखना यूं दूर से
दरवाजों के ये बंद पट 
मन के भीतर है शोर बहुत
इनको न तू खोलना...
चुप रहना आंखे खोलकर
दुनिया सा न कुछ भी तौलना
कितने मौसम गुजरेंगे
पतझड़ से मुंह न फेरना...
बंद आंखों का अंधेरा
बाहर अंधेरा न कर सके
न फेरना अपने नैन तू
न नैन को तू मूंदना....

©Swati kashyap #वेदना २२मई२०२३

#वेदना २२मई२०२३

848 Views