भोर का पंछी देख लिया ये जमाना आ अब तो कही दुर चले , दर्द भरी हैं जिंदगी आ अब तो कही आजाद चले , होती जहॉ उम्मीदे पुरी ,, आ अब तो लम्बी उडा़न भरे आजाद परिंदा