ना जाने किस कश्मकश में फंसी हूँ मैं हर रोज़ जो खुद ही से लड़ती हूँ मैं कहूँ किसे और क्या आज इस वक़्त के हिस्से में खुद को ढूंढ रही हूँ अपनी ही कहानियों के किस्सों में ना जाने गुज़रे कल से शिकायत है मेरी या खुद के आज से लड़ रही हूँ मैं ना जाने किस कश्मकश में फंसी हूँ मैं हर रोज़ जो खुद ही से लड़ती हूँ मैं ©Nainika Jagat #खुद_से #ThinkingMoon