मुझे बहुत प्रिय था वो बचपन का बचपना अपना वो ज़िद करना माँ का आँचल खींच वो छिप जाना दरवाजे के पीछे पिता की तेज़ आवाज़ सुन वो भागना दूर तक दोस्तों के संग खेलना छुपन-छुपाई पुरानी हवेली में जा डराना एक-दूजे को पीछे से आ चढ़ना पेड़ पर तोड़ने निबोरी खेलना कंचे भरी दोपहरी नहाना बारिश में झमाझम कूदना पानी में छपाछ्प घूमना और नापना मोहल्ले की गलियाँ वो कूदना फाँदना घर की मुंडेर काटना पतंगों की डोर लूट कर पतंग बादशाहत का ज़ोर वो रोना-धोना; मचलना;भड़कना कुछ पलों में फिर से खिलखिलाना मुझे बहुत प्रिय था वो बचपन का बचपना वो चिंतामुक्त पंछी-सा उड़ना मुनेश शर्मा मेरी ✍️🌈🌈🌈 मुझे बहुत प्रिय था #प्रियथा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi