मन में आ बसी हैं दुनियां कहीं खाली एक कोना है। मन के उसी कोने में ही अपनी दुनियां गढ़ना है। जग बना चौसर की भांति हम ही दाव पर लगाएं गए सभी को जीते, मन से हम सब मिल कर हमे हार गए हार जीत के इन प्रपंच मे जीवन द्यूत नहीं करना है मन में आ................. कब तक ढूंढे मन भी अब जग के यक्ष प्रश्नों के उत्तर जाता श्रेय शूलो को जब क्या बीतती है फूलों पर चंचल अल्हड़ मौजी मन को घोर अघोरी नही करना है मन में आ.................।। लोकेंद्र की कलम से ✍️ ©Lokendra Thakur #लोकेंद्र_की_कलम_से