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Happy mother's day (अनुशीर्षक में पढ़े) हम चार दिन

Happy mother's day
(अनुशीर्षक में पढ़े) हम चार दिन बाहर रहते हैं तो हम कपड़े धोना, खाना बनाना ये सब सीख जाते हैं, मगर एक चीज़ हम नहीं सीख पाते वो है खुद का ख्याल रखना। आज भी जब रात को आंख खुलती है और कल के काम की चिंता में नींद रूठ जाती है, तो तुम्हारी याद आती है कि क्या अभी तुम सो रही होगी? या मेरी चिंता को महसूस करके जाग गई होगी? खाना हम अपने लिए बना सकते हैं, कपड़े हम खुद के धो सकते हैं मगर किसी और के लिए मुफ्त में ये सब काम दो या तीन दिन से ज्यादा नही कर पाएंगे, फिर तुम कैसे करती रहीं।
फ्रिज से कुछ खाने के लिए निकाला और मुझे आता देखकर कह दिया कि तुम खा लो मैं तो चाय पीने जा रहीं थीं, ये क्यूं करती हो? अब तो सबके कमरे में अपने एसी हैं, मगर मुझे याद बचपन में घर में एक कूलर था और तुम हमेशा कहती थीं कि मुझे यहां नहीं लेटना मुझे ज़ुकाम हो जाता है, ताकि हम वहां पर आराम से लेट सकें। ये सब हम अपनी जिंदगी में कभी नही सीख सकते। हम जगह छोड़ने पर बताएंगे जरूर कि तुम्हारे लिए छोड़ी है मगर तुम तो ज़ाहिर ही नहीं होने देती थीं। लोग कहते हैं ना कि अगर किसी की भलाई के लिए कोई झूठ बोला जाए तो वो झूठ नहीं होता, लगता है ये भी किसी मां ने ही कहा होगा।
बहुत अजीब हो तुम। लोग कहते हैं ना बचपन इंसान की जिंदगी का सबसे खूबसूरत समय होता है, पता है क्यों क्योंकि बचपन में हम अपनी सारी परेशानियां तुम्हे बता पाते थे। जनता हूं कि तुम तो आज भी सुनने को तैयार हो मगर हम बड़े हो चुके हैं, ये सोचकर तुम्हे अपनी परेशानियां बताने से कतराते हैं। 
मैं जानता हूं कि एक दिन या कुछ शब्दो से तुम्हे वर्णित करना नामुमकिन है, मगर क्या करूं, मन माना ही नहीं।


Geeta Sharma didi
Namita Chauhan ji
Happy mother's day
(अनुशीर्षक में पढ़े) हम चार दिन बाहर रहते हैं तो हम कपड़े धोना, खाना बनाना ये सब सीख जाते हैं, मगर एक चीज़ हम नहीं सीख पाते वो है खुद का ख्याल रखना। आज भी जब रात को आंख खुलती है और कल के काम की चिंता में नींद रूठ जाती है, तो तुम्हारी याद आती है कि क्या अभी तुम सो रही होगी? या मेरी चिंता को महसूस करके जाग गई होगी? खाना हम अपने लिए बना सकते हैं, कपड़े हम खुद के धो सकते हैं मगर किसी और के लिए मुफ्त में ये सब काम दो या तीन दिन से ज्यादा नही कर पाएंगे, फिर तुम कैसे करती रहीं।
फ्रिज से कुछ खाने के लिए निकाला और मुझे आता देखकर कह दिया कि तुम खा लो मैं तो चाय पीने जा रहीं थीं, ये क्यूं करती हो? अब तो सबके कमरे में अपने एसी हैं, मगर मुझे याद बचपन में घर में एक कूलर था और तुम हमेशा कहती थीं कि मुझे यहां नहीं लेटना मुझे ज़ुकाम हो जाता है, ताकि हम वहां पर आराम से लेट सकें। ये सब हम अपनी जिंदगी में कभी नही सीख सकते। हम जगह छोड़ने पर बताएंगे जरूर कि तुम्हारे लिए छोड़ी है मगर तुम तो ज़ाहिर ही नहीं होने देती थीं। लोग कहते हैं ना कि अगर किसी की भलाई के लिए कोई झूठ बोला जाए तो वो झूठ नहीं होता, लगता है ये भी किसी मां ने ही कहा होगा।
बहुत अजीब हो तुम। लोग कहते हैं ना बचपन इंसान की जिंदगी का सबसे खूबसूरत समय होता है, पता है क्यों क्योंकि बचपन में हम अपनी सारी परेशानियां तुम्हे बता पाते थे। जनता हूं कि तुम तो आज भी सुनने को तैयार हो मगर हम बड़े हो चुके हैं, ये सोचकर तुम्हे अपनी परेशानियां बताने से कतराते हैं। 
मैं जानता हूं कि एक दिन या कुछ शब्दो से तुम्हे वर्णित करना नामुमकिन है, मगर क्या करूं, मन माना ही नहीं।


Geeta Sharma didi
Namita Chauhan ji