शिक्षा प्रणाली में हो रहा है, जो सुंदर सा परिवर्तन। हमारी देववाणी का , फिर से होगा अभिनंदन। गोरों की परिपाटी का, कर अंधानुकरण जो हुए थे अस्त। उनको सुंदर संस्कार मिलेंगे, वाणी से भी होंगे स्वस्थ। सभी भाषाओं की जननी, यह हमारी वेद वाणी है। फिर से इसको मान मिल रहा, यह देख प्रशन्न वीणा पाणी है। सुसंस्कृत सभ्य समाज की, नीव का आरंभ हो रहा, काल निशा ले रही विदा, नव उषा का शुभारंभ हो रहा। #शुभारंभ