माना लाखों हैं.... इस महफ़िल में दीवाने.... आए हैं हम भी... क़िस्मत आज़माने... यह जाना है जब से.. कह नहीं सकते मगर ....लिखते हैं.... सोचा यही इक राह हैं... इसपर चलें हैं ... पहचान बनाने। ©Asba tabassum ansar ahemad Qureshi # introducing myself #introduction