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अपनाती सुबह को , ठुकराती शाम की दुनियां, मुंह पे स

अपनाती सुबह को , ठुकराती शाम की दुनियां, मुंह पे सलाम महफ़िल में बदनाम की दुनियां, मन में है रावण और लिबास में  राम की दुनियां, जिसके बीच चलते चलते रुकती सांसें, जो ज़रा से दर्द का मरहम ना बन सके , तो बताओ किस काम की दुनियां?......

©Uday Kanwar
  #Duniyan✍️ Sethi Ji R Ojha R K Mishra " सूर्य " गुरु देव[Alone Shayar] Niaz (Harf)  Arun Dahiya utsav Pooja Udeshi