लफ्जो मे कहा खंजर छुपाये बैठे हो शाम होती नही और रात कि आस लगाये बैठे हो . . . सुना हे धुप मे बारीश को सीने से लगाये बैठे हो केहते हो सासो से मोहब्बत हे तुम्हे हवा को रुलाये बैठे हो . . . पत्थरो की लकीर पर ए किसका नाम लिखाये बैठे हो हवा दर्द की चल रही हे ,खुदको पिंजरे मे कैद करके बैठे हो . . . #काकडे #पिंजरा #दर्द #इश़्क