Nojoto: Largest Storytelling Platform

हमकदम आहत मन मरहम ढूंढता है, कभी ज्यादा कभी क

हमकदम

आहत मन 
मरहम ढूंढता है, 
कभी ज्यादा 
कभी कम ढूंढता है,
हो न लालसा 
जिसे तन की, 
कर सकें जिससे 
बतियां मन की,
ये मन, 
ऐसा ही 'बेतौल' 
हमकदम ढूंढता है।

©बोल_बेतौल by Atull Pandey
  #alone #humkadam