वक़्त की मांग घरों में रहिये क़ीमती जान घरों में रहिये आ गया फ़र्श बड़ी मुश्किल में और ये असमान घरों में रहिये इक क़दम भी ना रखें बाहर को और न मेहमान घरों में रहिये धोके हाथों को सदा साफ़ रख़ें बाक़ी मुस्कान घरों में रहिये सिर्फ़ अ पनों का नहीं औरों का भी रख़ें ध्यान घरों में रहिये शाह की बात ज़रा ग़ौर से सुन बस रहे ज्ञान घरों में र हिये शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी 8299642677 #hindi#urdu