कितनी सदीया इन्तजार मे गुजरी है तब जाके ये शुकून आया है मूडकर देखते है अब जब हम जमाने को तो लगता हे शायद हमपे ये खूदा थोड़ा मेहरबान ज्यादा है ।। मेहरबान