जीवन पथ पर आगे बढ़नें को क्यों ना हम सब ,कुछ कर जाएं जो राह बिछें हैं कांटों से कुछ पल उन पर हम चल जाएं सत्य जहां झूठलाया जाता बन छल डंठ के थपेड़ों से जहां धैर्य भी कर नतमस्तक बैठी छोटे-मोटे भिरूओं से जहां चाह लिए हो रामराज मन रावण को सब बैठा कर खुद की करनी का दोष किसी सज्जन के मांथे चढ़वा कर जहां सोमरस की इच्छा पर सब कार्य कराए जाते हों जो जीवन हम तुम दें ना सके पल भर में उड़ाऐ जाते हों जहां शर्मसार मानवता की पगडंडी बांधी जाती हो इनके चरणों में फूल चढ़ा गुड़गान आरती गाई जाती हो हे शिव पान करो यह सब फिर सत्य सुहानी लग जाए जो कर बैठे घमंड इस जीवन का उनके मुख गुरबाणी लग जाए.. ©"Narayan" @@संशोधन अपेक्षित🙏