हर तरफ़ हुस्न और नशे की बयार है। छींटाकशी और भूँख का व्यापार है। यूँ तो मनाया जाता है सादगी से भी! लेकिन शराब में डूबा हर त्योहार है। दौड़ रहे हैं अंधी दौड़ में सब लोग यूँ! ज़िन्दगी बस मौज़ करने का सार है। आहार निद्रा भय और मैथुन में फँसे! पशु और मानव का एकसा व्यवहार है। रंग बरसे तो रंगीन हो ही जाते हैं 'पंछी' मिज़ाज और समाज पे रंगों की मार है। ♥️ Challenge-876 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ होली की हार्दिक शुभकामनाएँ 😊💐💐 ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।