महज़ इत्तेफ़ाक है, या है दोनों का राबता लगता है जैसे दोनों का, कोई तो है वास्ता जीना है सारी ज़िन्दगी एक ऐसी ज़िन्दगी जिसमें मंज़िल तू रहे ,तू ही रहे रास्ता कुछ मुलाकाते हो,और बाते हो इस कदर बन जाए तेरे मेरे इश्क़ की एक दास्तां उम्मीद तो नहीं लेकिन ख्वाहिश है मेरी बन जाए हम दोनों का,एक बेनाम सा रिश्ता महज़ इत्तेफ़ाक है, या है दोनों का राबता लगता है जैसे दोनों का, कोई तो है वास्ता जीना है सारी ज़िन्दगी एक ऐसी ज़िन्दगी जिसमें मंज़िल तू रहे ,तू ही रहे रास्ता कुछ मुलाकाते हो,और बाते हो इस कदर बन जाए तेरे मेरे इश्क़ की एक दास्तां