दे मुझको वरदान ! जगत जननी मां चामुंडे, मैं तेरी सन्तान, री! मैया, दे मुझको वरदान ! पड़े विपदा जब भी भयंकर, करना महरानी प्यार शुभंकर, खिले अधर पर रोज निरंतर जीवन की मुस्कान! इठलाऊं ना ताज पहनकर, विघ्नों को झेलूं सदा हुलसकर, शीत उष्ण नैनो में घुलकर बह जाए अभिमान l! सत्य पथ पर सोच समझकर, सीखूँ चलना संभल संभलकर, प्रेम जगत में रहकर पंकज बनूँ सच्चा इंसान ! मां चामुंडा