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"इस्तिहार" पढ़ा लिखा था आपकी जरूरत है मगरूर था मजब

"इस्तिहार" पढ़ा लिखा था आपकी जरूरत है
मगरूर था मजबूर था, मैं भी एक मज़दूर था 
खुद को रोकता कैसे कुछ भी "सोचता" कैसे
ना तो थी खाने की कुछ, ना थी 'जेबों' में पैसे

©अनुषी का पिटारा.. #मज़बूरी #अनुषी_का_पिटारा
"इस्तिहार" पढ़ा लिखा था आपकी जरूरत है
मगरूर था मजबूर था, मैं भी एक मज़दूर था 
खुद को रोकता कैसे कुछ भी "सोचता" कैसे
ना तो थी खाने की कुछ, ना थी 'जेबों' में पैसे

©अनुषी का पिटारा.. #मज़बूरी #अनुषी_का_पिटारा