शाहीं सा बन छूना था आसमान, पंख काटकर क्यूँ मुझे आज़ाद किया। सपनों जो थे आपके जुड़े मुझसे, क्यूँ उन्हें आज मेरा बोलकर मुझे निराश किया। बोलते थे हमेशा करेंगी तू कुछ नया, फिर क्यूँ आज हारने का नाम किया। कहते थे मेहनत से मिलती हैं मंजिले यहां, फिर क्यूँ आज आपने मेरी किस्मत का साथ दिया। उम्मीद है,हमेशा की तरह आप फिर आसमान की तरफ इशारा कर कहे,उधर जाना है ना?