नज़रे झुकाकर जब बात करती हो क़सम ख़ुदा की बवाल लगती हो सादगी की एक मूरत लगती हो ज़मीन का तुम चाँद लगती हो कोई जवाब नही है तुम्हारा तुम तो लाजवाब लगती हो नज़रे झुकाकर जब बात करती हो वीरान में खिला ग़ुलाब लगती हो। सभी दोस्तों को प्यार भरा "नमस्कार" 🎀 जैसा की आप सभी को पता हैं की हमारी सुबह की पहली पोस्ट में से ही एक सर्वश्रेष्ठ प्रतिलिपि / Write up को Testimony रिपोस्ट से सम्मानित किया जाएगा । 🎀