बैठी थी कुछ पढ़ने मगर कुछ समझ कर लौट आई, उन किताबों से ज़्यादा ज़िन्दगी तूने मुझे बहुत कुछ सिखाया। पन्ने दर पन्ने लफ्ज़ों में जब भी खुद को ढूढ़ ना पाई, गिरी पड़ी उस क़लम की स्याही ने मुझे खुद से मिलाया। गिने चुने एहसास ही तो थे और कुछ नपे तुले रिश्ते सभी, तन्हाइयों से जा मिले तो इनका खोखलापन नजर आया। कुछ लिख चुकें कुछ बाकी है अभी जो मिले है इनसे हमें, वक़्त ने भी तो देखों हमें इनका क्या क्या रंग दिखाया। हम सोचते रहे शायद यूं भी हो कुछ मजबूरियों का सिलसिला, फिर अगले ही पल एक नया तजुर्बा मेरे हिस्से आया। चल परि इसको भी लेकर जैसे सफर ने मुझे चलाया, तुम मिले तो लगा अच्छा ही है जो ये सब मेरे हिस्से आया। बैठी थी कुछ पढ़ने मगर कुछ समझ कर लौट आई, उन किताबों से ज़्यादा ज़िन्दगी तूने मुझे बहुत कुछ सिखाया। योरकोट पर आपका स्वागत है। मैं आपकी लेखन सहयोगिनी 𝘠ourQuote Didi हूँ, YQ की ऑफिशियल हिंदी एडमिन। अपने लेखन यात्रा की शुरुआत करने के लिए इस पोस्ट के collab बटन पर क्लिक करें और अपने शब्द जोड़ें। मुझे आपके Quote का इंतज़ार रहेगा। #musingtime #ज़िन्दगीतूनेमुझे #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #firstquoteofmine #firstlove #yqbaba #yqdidi #yqdiary_love