एक बार ख़ुद से पूछो ये कैसी दिलकशी है छायी है दिल पे ऐसी जैसे कि आशिकी है मैं दूर का मुसाफ़िर चलता हूँ अपनी धुन में है मचल रही फिज़ा में यूँ कोई मोसिकी है सुप्रभात। प्रस्तुत है, Aesthetic Thoughts की ओर से प्रेषित किया गया यह #collab #ख़ुदसेपूछो #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi