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सुबह शाम करते थे फिक्र आपकी, अब तुम्हारा जिक्र भी

सुबह शाम करते थे फिक्र आपकी,
अब तुम्हारा जिक्र भी हमसे न होगा,
चंद राते जगी थी हमने तुम्हारे खयालो में,
तुम्हारे खयालो में डूबना अब  हमसे न होगा।।
                        बेवक़्त इन्तेजार किया करते थे हम आपका,
                       अब तो थोड़ी देर रुकना भी हमसे न होगा,
                       तारीफ की तो बात भी न कीजिये,
                       उस पुरानी मोहब्बत का तराना हमसे न होगा।।
ये तो बीती यादो का दर्या है,
उसमे गोता लगाना हमसे न होगा,
अगर तुम सोचते हो कि सोचते है हम तुम्हे,
तो सुन लो तुम्हारे बारे में सोचना हमसे न होगा।।
                        -गोपिकीसन हमसे न होगा।।,🔥🔥
Sahiba Sridhar Ganesh Murthy Kavita Rani Meera Bai Navneet Kaur
सुबह शाम करते थे फिक्र आपकी,
अब तुम्हारा जिक्र भी हमसे न होगा,
चंद राते जगी थी हमने तुम्हारे खयालो में,
तुम्हारे खयालो में डूबना अब  हमसे न होगा।।
                        बेवक़्त इन्तेजार किया करते थे हम आपका,
                       अब तो थोड़ी देर रुकना भी हमसे न होगा,
                       तारीफ की तो बात भी न कीजिये,
                       उस पुरानी मोहब्बत का तराना हमसे न होगा।।
ये तो बीती यादो का दर्या है,
उसमे गोता लगाना हमसे न होगा,
अगर तुम सोचते हो कि सोचते है हम तुम्हे,
तो सुन लो तुम्हारे बारे में सोचना हमसे न होगा।।
                        -गोपिकीसन हमसे न होगा।।,🔥🔥
Sahiba Sridhar Ganesh Murthy Kavita Rani Meera Bai Navneet Kaur