कंधे पे वजन,पांव में जलन उन्हें ये मंजूर है डंडे भी चलाई, लहू भी बहे वो जो,हमारा हुजूर है सियासत इतनी बेरहम हो गई साहब,जो मजदूर है इस हिंद का मुफलिस हूं साहब इतना ही कसूर है दर-दर पे ठोकरे देते हो हमें ये कहां का दस्तूर है सिसकती जिदंगी को गांव का तलाश इन हसरतों से मजबूर है #Nature #labour #Love #tear #of #Heart #Broken #tough #Life