अब तो बरस जा री बदरियाँ; तरसत है भाग हमारे...... तरस गए है खेत खलीहान; बूँद को एक एक तुम्हारे..... कुँज कुँज सावन मेला; होता था कभी सुना है घनघोर वर्षा की टपटप; घर, आँगण ने झेला है अब क्यू आँखमिचौली तुम; खेलत हो संग हमारे तरस गए है खेत खलिहान; बूँद को एक एक तुम्हारे..... आओ दरस दिखा जाओ; सून लो अरज हमारी बिगड़ी किस्मत सँवर जाएगी; है बस गरज तुम्हारी उपवन में जो पानी बरसे; महकेंगे दिन रैन हमारे तरस गए है खेत खलिहान; बूँद को एक एक तुम्हारे..... अँखियाँ तरस गईं बूँदन को कब जागेंगे भाग हमारे ओ बदरा प्यारे। बादल के नाम एक कविता लिखें। #ओबदरा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi