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मैं देखता ही नहीं, की रास्तों पर अंगारे सुलग रहे ह

मैं देखता ही नहीं, की रास्तों पर अंगारे सुलग रहे हैं । मैं मुकाम को देख चलता चला गया, मुकाम मिला तो पता चला  कि अंगारों ने पैर जला रखे हैं , लेकिन अब वक्त बदल चुका है! जब मैं बेखौफ़ अंगारों पर चल रहा था, तब अंगारे बुझाने को कोई ना था, और आज मरहम लगाने को पूरा जमाना आया है।

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