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मानवता पर तरस खाती है ख़ाक होते जा रहे है सांसों क

मानवता पर तरस खाती है
ख़ाक होते जा रहे है सांसों
के रखवाले अब गले के प्यास
को भी राहत मुश्किल से मिल पाती है।।

©लेखक ओझा
  ख़ाक होते जा रहे #chaltechalte

ख़ाक होते जा रहे #chaltechalte

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