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कोनसा खील उठेगा वो अपनी तासीर पे होगा, कोई खेलेगा

कोनसा खील उठेगा वो अपनी तासीर पे होगा,
कोई खेलेगा खुशियों के रंगों से,
कोई हर वक़्त हवा में उदासी घोलेगा!
कोई लगायेगा नफरत का धब्बा,
कोई प्यार की छोलों से अपनापन बिखेरेगा! सुप्रभात।
रंगों की एक दुनिया आपके अंदर भी मौजूद है। उसे ढूँढिये।
#रंगतुम्हारेअंदर #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
कोनसा खील उठेगा वो अपनी तासीर पे होगा,
कोई खेलेगा खुशियों के रंगों से,
कोई हर वक़्त हवा में उदासी घोलेगा!
कोई लगायेगा नफरत का धब्बा,
कोई प्यार की छोलों से अपनापन बिखेरेगा! सुप्रभात।
रंगों की एक दुनिया आपके अंदर भी मौजूद है। उसे ढूँढिये।
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