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अब तुझे इजहार-ए-इश्क़ नहीं कर सकता हूं खामोशी सी

अब तुझे इजहार-ए-इश्क़ नहीं कर सकता हूं 
खामोशी सी  छाई है ,छाई है मेरी जुबान पर। 

कोई भरोसा नहीं होता आजकल किसी के  बयान पर 
शक तो मुझे भी होता है खुद के ईमान पर।
                                
रस्ता चल रहा हूं ,चलता हूं राह सुनसान पर
कभी-कभी आसमान की तरफ देखता हूं ,जैसे पता लिखा है तेरा 
आसमान पर।

 हिम्मत सिंह writing# thinking#  Punjabi poetry# Hindi poetry#Urdupoetry🎶🎶🎶🎶✍️✍️✍️✍️✍️###💘💘💘💘##💓💓💓####
अब तुझे इजहार-ए-इश्क़ नहीं कर सकता हूं 
खामोशी सी  छाई है ,छाई है मेरी जुबान पर। 

कोई भरोसा नहीं होता आजकल किसी के  बयान पर 
शक तो मुझे भी होता है खुद के ईमान पर।
                                
रस्ता चल रहा हूं ,चलता हूं राह सुनसान पर
कभी-कभी आसमान की तरफ देखता हूं ,जैसे पता लिखा है तेरा 
आसमान पर।

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himmatsingh7299

Himmat Singh

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