पुरुष होने का अर्थ अब भला कौन जानता है, दर्द में भी हंसकर जीने का मर्म वो पहचानता है। सच्चा पौरुष वो जो जिंदा आज है, अपनों के लिए जीता और ख़ुद के लिए सालता है। टूटा हुआ हो बेशक जिंदगी के हालातों से, मगर अपने घर परिवार को वो पालता है। तुफान गर चाहें बिखेरना उसके जिम्मेदारीओ को, मजबूत शिला बन सबको वो ही फिर संभालता है। दिल से मासूम और कमजोर है वो फिर भी, दुनियां के बोझ लिए जिंदगी में खुशियां खंगालता है। नारियल सा होता है अक्सर पुरुष वो जो, भावनाओं को दबा अपना सख्त मिजाज दर्शाता है। क्या हुआ अगर वो दिल हल्का करना चाहे, हंसना, रोना, और जीना पुरुष भी तो चाहता है। पुरुष होने का अधिकार जताने बताने से केवल, पुरुषों सुनो, पुरुष बिल्कुल नहीं बना जाता है। जिसमें हो प्रेम, दया, करुणा का भरपूर सम्मेलन, वो इंसान ही इस धरती पर पुरुष कहलाता है। आज कौन पुरुष होने का मतलब जानता है..... 'किरन' #NojotoQuote पुरुष होने का अर्थ #male #feeling