कुछ अपने ही टूटे अल्फाजों से बातें पीरोंऊ | खुद में, खुद से ही, खुद को कुछ करना सिखाऊ || कभी खुद में ही उलझु ? खुद को ही कोसू ! कभी खुद को हंसाता हूं मैं | कुछ ख्वाहिशे सीने में लिए अपने आप से लड़ता हूं मैं || बेरंग सी इस जिंदगी को कभी खुद से रंगता हूं मैं | अपनों की ही गलियों में अक्सर अनजान फिरता हूं मैं || दुखों के समंदर में भी हंसता हुआ बारिश बरसता हूं मैं | ©R...Khan #टुटे #अल्फ़ाज़ #Hopeless