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सृष्टि के मोहनप्यारों सुबह हो गयी आंखे खोलो, अपने

सृष्टि के मोहनप्यारों सुबह हो गयी
आंखे खोलो, अपने हाथों को देखो।

उस सूर्य की लालिमा को फिर देखो 
लट्टु हो गए थे अंजनी पुत्र हनुमान ।

अपने सुंदर से दोनों पगों को 
धरती पर रखते हुए नमस्कार करो।

कहो, हे माँ हमसे सब कुछ ले लेना 
पर अपने गोदी का प्यार न लेना।

फिर, नित्य के सारे, अपने कर्म करो
स्नान कर, बैठ शांत, राधे कृष्ण जपो।

कुछ कलेवा खा कर, कुछ रखकर
पंक्षी बन, नील गगन तले उड़ चलो।
 –अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK
  #Morning #poetry #Life 
सृष्टि के मोहनप्यारों सुबह हो गयी
आंखे खोलो, अपने हाथों को देखो।

उस सूर्य की लालिमा को फिर देखो 
लट्टु हो गए थे अंजनी पुत्र हनुमान ।

अपने सुंदर से दोनों पगों को
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AJAY NAYAK

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#Morning poetry Life सृष्टि के मोहनप्यारों सुबह हो गयी आंखे खोलो, अपने हाथों को देखो। उस सूर्य की लालिमा को फिर देखो लट्टु हो गए थे अंजनी पुत्र हनुमान । अपने सुंदर से दोनों पगों को #कविता

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