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ए बारीश के पानी तू इक आशिक से ज्यादा रोमांटिक होगा

ए बारीश के पानी तू इक आशिक से ज्यादा रोमांटिक होगा शायद ।
क्योंकि मेरा इश्क मुझे छोड़ तुझे गले लगाने भाग गया ।
मैं समझता हूँ के शायद तुझ में कुछ सुकून होगा मगर...
मेरी बाहें भी कुछ कम नहीं... जो इश्क सुकून ना पा सके ।
सच कहता हूँ... के जब बूँद बनकर तेरी ऊंगली उसके.... 
माथे से सरकती है झटपटाने लगता हूँ दिल ही दिल में...
और तू इक बेशर्म सा लगा रहता है मुझे जलाने में ।
माथे से शुरुआत कर तेरी ऊंगली गालों तक आ जाती है ।
"मैं कहता हूँ बस कर और आगे ना बढ़, मेरा इम्तहान ना ले" ।
मगर तू नहीं सुनता गले से होते हुए काफी आगे निकलता है ।
मैं पूरी तरह से दिल में ख़ाख हो जाता हूँ ।
अब ठान लेता हूँ के तुझे इसका जवाब दूंगा, बदला लूंगा ।
फिर सोचता हूँ कि किससे बदला लूंगा बारीश तुम से ?
जो सबकी चाहत है । या उस माशूक से जो मेरी चाहत है ।
गुस्सा तो बहोत आता है तेरा मगर क्या करूँ...
जब मेरे इश्क को देखता हूँ ।
तेरी बाहों में लडकपन करते हुए, 
तुझे महसूस कर के सुकून पाते हुए । 
मुझे इक साल तरसना होता है मुझे इस मासूमियत की खातिर ।
उसका ये सुकून देख तुम्हें माफ कर देता हूँ 
और खिंच लेता हूँ उसे अपने ओंर तुमसे छूंट कर वो मुझ में समा जाती है ।
इक जोर से गड़गड़ाहट और मैं तुम्हारा शुक्रीया अदा करते हुए...
मेरे माशूक को बाहों में भर लेता हूँ ।
हाँ... मगर ए बारीश के पानी तू इक आशिक से ज्यादा ही रोमांटिक है ।
नंदसुत #nojoto #nojotohindi #poetry #rain #romance #love #urdupoetry
ए बारीश के पानी तू इक आशिक से ज्यादा रोमांटिक होगा शायद ।
क्योंकि मेरा इश्क मुझे छोड़ तुझे गले लगाने भाग गया ।
मैं समझता हूँ के शायद तुझ में कुछ सुकून होगा मगर...
मेरी बाहें भी कुछ कम नहीं... जो इश्क सुकून ना पा सके ।
सच कहता हूँ... के जब बूँद बनकर तेरी ऊंगली उसके.... 
माथे से सरकती है झटपटाने लगता हूँ दिल ही दिल में...
और तू इक बेशर्म सा लगा रहता है मुझे जलाने में ।
माथे से शुरुआत कर तेरी ऊंगली गालों तक आ जाती है ।
"मैं कहता हूँ बस कर और आगे ना बढ़, मेरा इम्तहान ना ले" ।
मगर तू नहीं सुनता गले से होते हुए काफी आगे निकलता है ।
मैं पूरी तरह से दिल में ख़ाख हो जाता हूँ ।
अब ठान लेता हूँ के तुझे इसका जवाब दूंगा, बदला लूंगा ।
फिर सोचता हूँ कि किससे बदला लूंगा बारीश तुम से ?
जो सबकी चाहत है । या उस माशूक से जो मेरी चाहत है ।
गुस्सा तो बहोत आता है तेरा मगर क्या करूँ...
जब मेरे इश्क को देखता हूँ ।
तेरी बाहों में लडकपन करते हुए, 
तुझे महसूस कर के सुकून पाते हुए । 
मुझे इक साल तरसना होता है मुझे इस मासूमियत की खातिर ।
उसका ये सुकून देख तुम्हें माफ कर देता हूँ 
और खिंच लेता हूँ उसे अपने ओंर तुमसे छूंट कर वो मुझ में समा जाती है ।
इक जोर से गड़गड़ाहट और मैं तुम्हारा शुक्रीया अदा करते हुए...
मेरे माशूक को बाहों में भर लेता हूँ ।
हाँ... मगर ए बारीश के पानी तू इक आशिक से ज्यादा ही रोमांटिक है ।
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sanketsule6936

Sanket Sule

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