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पढ़ने जो बैठा उसका चेहरा किताब था । शायरी में

पढ़ने जो  बैठा  उसका  चेहरा  किताब था ।
शायरी में भीगा हर इक  अक्षर गुलाब था ।। 
कितने  छिपे मजमून  उन रंगीन सफ़्हों पर..
हर रोज़ एक सफ़्हा पलटना लाजवाब था।।
 
                         .....महेश वर्मा (स्वरचित) #chehra_kitab
पढ़ने जो  बैठा  उसका  चेहरा  किताब था ।
शायरी में भीगा हर इक  अक्षर गुलाब था ।। 
कितने  छिपे मजमून  उन रंगीन सफ़्हों पर..
हर रोज़ एक सफ़्हा पलटना लाजवाब था।।
 
                         .....महेश वर्मा (स्वरचित) #chehra_kitab