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सियासत के मारे सब, इश्क़ भला कौन करे. मर्ज़ सब ही ज

सियासत के मारे सब, इश्क़ भला कौन करे.
मर्ज़  सब ही जहान में, पूछो दवा कौन करे.

नंगे  ही  आये  थे  हम, नंगे  ही  तो जायेंगे.
नंगी  है  आँखें  जब, शर्म-हया  कौन  करे.

मां से  बिछड़ के हम  दूजे शहर में आ गए.
चोट लगेगी  जब यहां, फिर दुआ कौन करे.

हर मिसरे पर वाह वाह होती है महफ़िल में.
तू जो  नहीं  है तो, खुद पर  गुमां कौन करे.

आज  हमने  कह ही  दिया, अब वो नहीं है.
रोज़  रोज़  भला  खुद  को  झूठा कौन करे. #NojotoQuote तरन्नुम वाली ग़ज़ल.

अर्थ :-

मर्ज़ - मरीज
जहान - दुनिया
मिसरा - पंक्ति
गुमां - गुमान
सियासत के मारे सब, इश्क़ भला कौन करे.
मर्ज़  सब ही जहान में, पूछो दवा कौन करे.

नंगे  ही  आये  थे  हम, नंगे  ही  तो जायेंगे.
नंगी  है  आँखें  जब, शर्म-हया  कौन  करे.

मां से  बिछड़ के हम  दूजे शहर में आ गए.
चोट लगेगी  जब यहां, फिर दुआ कौन करे.

हर मिसरे पर वाह वाह होती है महफ़िल में.
तू जो  नहीं  है तो, खुद पर  गुमां कौन करे.

आज  हमने  कह ही  दिया, अब वो नहीं है.
रोज़  रोज़  भला  खुद  को  झूठा कौन करे. #NojotoQuote तरन्नुम वाली ग़ज़ल.

अर्थ :-

मर्ज़ - मरीज
जहान - दुनिया
मिसरा - पंक्ति
गुमां - गुमान
itba1773705858770

writer abhay

New Creator

तरन्नुम वाली ग़ज़ल. अर्थ :- मर्ज़ - मरीज जहान - दुनिया मिसरा - पंक्ति गुमां - गुमान