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फक्र नहीं पड़ता अगर, मैं... मैं हूँ.... ना मुझे किस

फक्र नहीं पड़ता अगर, मैं... मैं हूँ....
ना मुझे किसी का डर..!
आसमां मेरा निगहबान,
आफ़ताब मेरा हमदर्द...!

©Sandeep Manohar Kothar मैं... मैं हूँ....
ना मुझे किसी का डर..!
आसमां मेरा निगहबान,
आफ़ताब मेरा हमदर्द...!

दोस्तों,
जमाने का नज़रिया भले ही आपकी तरफ कैसा भी हों.. मगर आपका नज़रिया ख़ुद की तरफ अक्सर सकारात्मक ही होना चाहिए।
फक्र नहीं पड़ता अगर, मैं... मैं हूँ....
ना मुझे किसी का डर..!
आसमां मेरा निगहबान,
आफ़ताब मेरा हमदर्द...!

©Sandeep Manohar Kothar मैं... मैं हूँ....
ना मुझे किसी का डर..!
आसमां मेरा निगहबान,
आफ़ताब मेरा हमदर्द...!

दोस्तों,
जमाने का नज़रिया भले ही आपकी तरफ कैसा भी हों.. मगर आपका नज़रिया ख़ुद की तरफ अक्सर सकारात्मक ही होना चाहिए।