बढ़ उठे हम सफर की ओर कभी तुलिका से लिखते थे आज कलम से लिखते हैं, बचपन से चल पड़े जवानी की ओर कभी पाठशाला में पढ़ते थे आज महाविधालय में पढ़ते हैं। @चित्र मित्र का जिनके इस विषय पर लिखे को पढ़ कुछ अपना लिखा।