अभी तो बस, मैं हूँ, मैं क्या हूँ ये तय होना बाक़ी है, हासिल करना एक मुक़ाम बाक़ी है।। ये ज़िन्दगी चक्कर है उलझनों का, एक से निकालो तो अगला बाक़ी है।। अब तक रब का मंसूबा पूरा नही हुआ, वरना क्यों अब भी मुझमे जान बाकी है।। ज़ाया न होगी ये ज़िन्दगी मेरी, यूँ ही, बेशक़ मैं अब भी सफर में हूँ, और उम्मिद बाक़ी है।। मैं क्या हूँ ये तय होना बाक़ी है, हासिल करना एक मुक़ाम बाक़ी है।। !!B!!...✍️ #_B #findingyourself