जो बुरे नहीं बुरा कहते हैं खुद को आज़ाद हैं पर कैद रखते हैं खुद को क्या मिलता है इन्हें कौन पूछे इनसे खामखाँ ख़ुदा समझने लगते हैं खुद को! ©sagar manthan #खामखाँ #mukhota