#डर भीड़ भी थी दिवाली की रौशनी भी थी होंटो की मुस्कुराहट के साथ बाजार की वो चमक भी थी इन सब को देख मुस्कुराती एक बारह साल की बच्ची भी थी अचानक भीड़ में बच्ची की छाती को नोंचकर गुजारा एक अनजाना हाथ भी था उस बच्ची की नज़र भी थी जो उस अनजान हाथ वाले चेहरे को खोजती भीड़ में थी चेहरा तो नज़र नही आया कही फिर ना आजे वो अनजाना हाथ इस डर की तस्वीर समायी उसके दिल में आज भी थी डर