Nojoto: Largest Storytelling Platform

लिख देता हूँ यूँही कभी कभी, उसे मै सोचकर । शायर न

लिख देता हूँ यूँही कभी कभी,
उसे मै सोचकर ।
शायर न समझना ग़ालिब ,
उसकी यादें ही इतनी अनसुलझी सी हो गयीं है ,
कि उसके यादों को संजोए रखना ही मेरी आदत सी बन गयीं है ।।










                                      Mr_Pi_Yush #breaklove
लिख देता हूँ यूँही कभी कभी,
उसे मै सोचकर ।
शायर न समझना ग़ालिब ,
उसकी यादें ही इतनी अनसुलझी सी हो गयीं है ,
कि उसके यादों को संजोए रखना ही मेरी आदत सी बन गयीं है ।।










                                      Mr_Pi_Yush #breaklove