लिख देता हूँ यूँही कभी कभी, उसे मै सोचकर । शायर न समझना ग़ालिब , उसकी यादें ही इतनी अनसुलझी सी हो गयीं है , कि उसके यादों को संजोए रखना ही मेरी आदत सी बन गयीं है ।। Mr_Pi_Yush #breaklove