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अलविदा साथी 2018 प्रिय 2018, आज तुम्हा

अलविदा साथी 2018 प्रिय 2018,
            आज तुम्हारे साथ अंतिम दिन की शुरुआत कर चुका हूं, इसके बाद हम कभी नहीं मिलेंगे। जीवन का वह मोड़ सबसे कठिन होता है, जहां पर आप किसी से इस तरह बिछड़े कि दोबारा मुलाकात का संयोग तो दूर नियति ही ना हो। लेकिन स्मृतियों में और संस्मरण में तुम हमेशा जीवंत रहोगे। एक मनुष्य के जीवन में उसकी युवावस्था के संस्मरण सबसे प्रमुख और प्रभावी होते हैं, और जब कि तुम मेरे जीवन के संक्रमण काल में मेरे साथ रहे हो तो तुमने भी पूरी तरह अपनी प्रभाविता स्थापित कर दी है। तुम्हारे साथ का यह सफर बहुत अच्छा रहा, शायद सभी संस्मरणों को याद कर मैं उन्हें यहां पर व्यवस्थित भी ना कर पाऊं। कुछ खट्टा, कुछ मीठा, कुछ लुभावना, कुछ सरस बहुत प्रकार से तुमने मेरे दिल के अंतःस्थली को छुआ। लेकिन उसमें भी सबसे प्रमुख की हर दर्द, हर खुशी में तुम साथ खड़े रहे, तथाकथित अपनों की तरह साथ नहीं छोड़ा। इसीलिए तो सब कुछ बांट पाया हूं तुम्हारे साथ। हर वह बात जो अपने माता पिता को भी नहीं बता सकता या फिर जो अपने किसी सगे संबंधी को नहीं बता सकता, वे सारे सच तुम्हारी गोद में ही तो जिए हैं मैंने। मुझे आज भी वह दिन याद है जब हमने साथ-साथ अपना सफर शुरू किया था। तुम्हारे पिता '2017' ने बड़ी आशा और विश्वास के साथ तुम्हारे हाथ में मेरा हाथ सौंपा था। बहुत जिम्मेदारियां दी थी तुम्हें। तुम्हें यह भी बताया था कि कैसा श्रमिक हूं मैं और किस उपलब्धि में तुम्हें मेरा साथ देना है और तुमने भी सहर्ष स्वीकार कर लिया था। फिर हमने दो-तीन दिन बहुत मोद मनाया था। तुम्हारे आने की खुशी को फेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप, इनबॉक्स और जो भी माध्यम मेरे पास उपलब्ध था, से चिल्ला-चिल्ला कर मैंने सबको बताया था और सब खुश थे, सब बधाइयां दे रहे थे। क्योंकि सबको पता था कि तुम्हारा होना शुभ का संकेत है। और तुमने भी उन सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया, जैसे एक संगी-एक साथी को निभाना चाहिए। तुम्हारे जाने का बहुत दुख है मुझे, लेकिन यह चक्र मेरे और तुम्हारे संबंधों से बड़ा है इसे अपने अभीष्ट तक तो पहुंचना ही है। उसमें हम जैसे कलाकारों का अभिनय मात्र आवश्यक है। पात्र कभी स्वयं निर्देशन नहीं करता हमेशा निर्देशित होता है तो अब समय का निर्देश है कि हम अपने अपने पथ पर आगे बढ़ें। जो जिम्मेदारियां तुमने मुझे  सौंपी हैं और जो संबंध तुमने मुझे तोहफे में दिए हैं, उन का निर्वहन मैं अपने अनंतिम सामर्थ्य का प्रयोग करते हुए अपने समय के अंत तक करूंगा। मैं आभारी हूं कि तुमने मुझे यह मौका दिया कि मैं तुम्हें जी पाऊं और परिस्थितियों के रसास्वादन ने 'हमारा संबंध' मेरे जीवन के बेहतरीन संस्मरण संग्रह में संग्रहित कर दिया है। तुमने मेरे जीवन को सींचा है और मैं तुमसे वादा करता हूं कि तुम्हारे परिश्रम की एक बूंद भी जाया नहीं होगी और तुम्हारे अभीष्ट से सिंचित यह पुष्प एक दिन जरूर अपनी सुगंध बिखेरेगा।
  
अलविदा साथी

तुम्हारा ऋषि
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अलविदा साथी 2018 प्रिय 2018,
            आज तुम्हारे साथ अंतिम दिन की शुरुआत कर चुका हूं, इसके बाद हम कभी नहीं मिलेंगे। जीवन का वह मोड़ सबसे कठिन होता है, जहां पर आप किसी से इस तरह बिछड़े कि दोबारा मुलाकात का संयोग तो दूर नियति ही ना हो। लेकिन स्मृतियों में और संस्मरण में तुम हमेशा जीवंत रहोगे। एक मनुष्य के जीवन में उसकी युवावस्था के संस्मरण सबसे प्रमुख और प्रभावी होते हैं, और जब कि तुम मेरे जीवन के संक्रमण काल में मेरे साथ रहे हो तो तुमने भी पूरी तरह अपनी प्रभाविता स्थापित कर दी है। तुम्हारे साथ का यह सफर बहुत अच्छा रहा, शायद सभी संस्मरणों को याद कर मैं उन्हें यहां पर व्यवस्थित भी ना कर पाऊं। कुछ खट्टा, कुछ मीठा, कुछ लुभावना, कुछ सरस बहुत प्रकार से तुमने मेरे दिल के अंतःस्थली को छुआ। लेकिन उसमें भी सबसे प्रमुख की हर दर्द, हर खुशी में तुम साथ खड़े रहे, तथाकथित अपनों की तरह साथ नहीं छोड़ा। इसीलिए तो सब कुछ बांट पाया हूं तुम्हारे साथ। हर वह बात जो अपने माता पिता को भी नहीं बता सकता या फिर जो अपने किसी सगे संबंधी को नहीं बता सकता, वे सारे सच तुम्हारी गोद में ही तो जिए हैं मैंने। मुझे आज भी वह दिन याद है जब हमने साथ-साथ अपना सफर शुरू किया था। तुम्हारे पिता '2017' ने बड़ी आशा और विश्वास के साथ तुम्हारे हाथ में मेरा हाथ सौंपा था। बहुत जिम्मेदारियां दी थी तुम्हें। तुम्हें यह भी बताया था कि कैसा श्रमिक हूं मैं और किस उपलब्धि में तुम्हें मेरा साथ देना है और तुमने भी सहर्ष स्वीकार कर लिया था। फिर हमने दो-तीन दिन बहुत मोद मनाया था। तुम्हारे आने की खुशी को फेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप, इनबॉक्स और जो भी माध्यम मेरे पास उपलब्ध था, से चिल्ला-चिल्ला कर मैंने सबको बताया था और सब खुश थे, सब बधाइयां दे रहे थे। क्योंकि सबको पता था कि तुम्हारा होना शुभ का संकेत है। और तुमने भी उन सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया, जैसे एक संगी-एक साथी को निभाना चाहिए। तुम्हारे जाने का बहुत दुख है मुझे, लेकिन यह चक्र मेरे और तुम्हारे संबंधों से बड़ा है इसे अपने अभीष्ट तक तो पहुंचना ही है। उसमें हम जैसे कलाकारों का अभिनय मात्र आवश्यक है। पात्र कभी स्वयं निर्देशन नहीं करता हमेशा निर्देशित होता है तो अब समय का निर्देश है कि हम अपने अपने पथ पर आगे बढ़ें। जो जिम्मेदारियां तुमने मुझे  सौंपी हैं और जो संबंध तुमने मुझे तोहफे में दिए हैं, उन का निर्वहन मैं अपने अनंतिम सामर्थ्य का प्रयोग करते हुए अपने समय के अंत तक करूंगा। मैं आभारी हूं कि तुमने मुझे यह मौका दिया कि मैं तुम्हें जी पाऊं और परिस्थितियों के रसास्वादन ने 'हमारा संबंध' मेरे जीवन के बेहतरीन संस्मरण संग्रह में संग्रहित कर दिया है। तुमने मेरे जीवन को सींचा है और मैं तुमसे वादा करता हूं कि तुम्हारे परिश्रम की एक बूंद भी जाया नहीं होगी और तुम्हारे अभीष्ट से सिंचित यह पुष्प एक दिन जरूर अपनी सुगंध बिखेरेगा।
  
अलविदा साथी

तुम्हारा ऋषि
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प्रिय 2018, आज तुम्हारे साथ अंतिम दिन की शुरुआत कर चुका हूं, इसके बाद हम कभी नहीं मिलेंगे। जीवन का वह मोड़ सबसे कठिन होता है, जहां पर आप किसी से इस तरह बिछड़े कि दोबारा मुलाकात का संयोग तो दूर नियति ही ना हो। लेकिन स्मृतियों में और संस्मरण में तुम हमेशा जीवंत रहोगे। एक मनुष्य के जीवन में उसकी युवावस्था के संस्मरण सबसे प्रमुख और प्रभावी होते हैं, और जब कि तुम मेरे जीवन के संक्रमण काल में मेरे साथ रहे हो तो तुमने भी पूरी तरह अपनी प्रभाविता स्थापित कर दी है। तुम्हारे साथ का यह सफर बहुत अच्छा रहा, शायद सभी संस्मरणों को याद कर मैं उन्हें यहां पर व्यवस्थित भी ना कर पाऊं। कुछ खट्टा, कुछ मीठा, कुछ लुभावना, कुछ सरस बहुत प्रकार से तुमने मेरे दिल के अंतःस्थली को छुआ। लेकिन उसमें भी सबसे प्रमुख की हर दर्द, हर खुशी में तुम साथ खड़े रहे, तथाकथित अपनों की तरह साथ नहीं छोड़ा। इसीलिए तो सब कुछ बांट पाया हूं तुम्हारे साथ। हर वह बात जो अपने माता पिता को भी नहीं बता सकता या फिर जो अपने किसी सगे संबंधी को नहीं बता सकता, वे सारे सच तुम्हारी गोद में ही तो जिए हैं मैंने। मुझे आज भी वह दिन याद है जब हमने साथ-साथ अपना सफर शुरू किया था। तुम्हारे पिता '2017' ने बड़ी आशा और विश्वास के साथ तुम्हारे हाथ में मेरा हाथ सौंपा था। बहुत जिम्मेदारियां दी थी तुम्हें। तुम्हें यह भी बताया था कि कैसा श्रमिक हूं मैं और किस उपलब्धि में तुम्हें मेरा साथ देना है और तुमने भी सहर्ष स्वीकार कर लिया था। फिर हमने दो-तीन दिन बहुत मोद मनाया था। तुम्हारे आने की खुशी को फेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप, इनबॉक्स और जो भी माध्यम मेरे पास उपलब्ध था, से चिल्ला-चिल्ला कर मैंने सबको बताया था और सब खुश थे, सब बधाइयां दे रहे थे। क्योंकि सबको पता था कि तुम्हारा होना शुभ का संकेत है। और तुमने भी उन सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया, जैसे एक संगी-एक साथी को निभाना चाहिए। तुम्हारे जाने का बहुत दुख है मुझे, लेकिन यह चक्र मेरे और तुम्हारे संबंधों से बड़ा है इसे अपने अभीष्ट तक तो पहुंचना ही है। उसमें हम जैसे कलाकारों का अभिनय मात्र आवश्यक है। पात्र कभी स्वयं निर्देशन नहीं करता हमेशा निर्देशित होता है तो अब समय का निर्देश है कि हम अपने अपने पथ पर आगे बढ़ें। जो जिम्मेदारियां तुमने मुझे सौंपी हैं और जो संबंध तुमने मुझे तोहफे में दिए हैं, उन का निर्वहन मैं अपने अनंतिम सामर्थ्य का प्रयोग करते हुए अपने समय के अंत तक करूंगा। मैं आभारी हूं कि तुमने मुझे यह मौका दिया कि मैं तुम्हें जी पाऊं और परिस्थितियों के रसास्वादन ने 'हमारा संबंध' मेरे जीवन के बेहतरीन संस्मरण संग्रह में संग्रहित कर दिया है। तुमने मेरे जीवन को सींचा है और मैं तुमसे वादा करता हूं कि तुम्हारे परिश्रम की एक बूंद भी जाया नहीं होगी और तुम्हारे अभीष्ट से सिंचित यह पुष्प एक दिन जरूर अपनी सुगंध बिखेरेगा। अलविदा साथी तुम्हारा ऋषि #yqbaba #yqdidi #yq #yqdada #yqhindi #yqrishi #bestyqhindiquotes #bestyqhindiquotes