कभी घर से भी निकला करो बाहर ताजी हवा चल रही है| अब कॉलेज भी छोड़ दिया तुमने और बाजार भी कभी आती नहीं सुना है बहुत पूजा पाठ करती हो तुम लेकिन मन्दिर तो कभी जाती नहीं देखो तो दुनियाँ कैसे रंग बदल रही है कभी घर से भी निकला करो बाहर ताजी हवा चल रही है दिल रोकता रहा उसको पर वो रुका नहीं चला गया मैं ख्वाब में चिल्लाता रहा और हकीकत में गला बैठ गया मुझे पता है उसके अन्दर बहुत सी गलतफहमियाँ पल रही हैं कभी घर से भी निकला करो बाहर ताजी हवा चल रही है| ताजी हवा....