सुलग सुलग के खंजर बना हूँ मैं, वरना किसी कि चौखट का जंग लगा बेबस बदनाम लोहे का हिस्सा होता। बदल बदल के अपने आप को मंज़र बना हूँ मैं, वरना किसी कि आहट का मौहताज़, गुमसुम गुमनाम अधूरा सा किस्सा होता। #shaayavita #badal #himmat #nojoto #inspirational