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आज के दोहे पर धन की इच्छा कभी,नहीं करो जी आप। पर

आज के दोहे

पर धन की इच्छा कभी,नहीं करो जी आप।
पर धन  की इच्छा  सदा, होता  है  जी पाप।।१२२।।

जो कुछ धन  है आपका, वही रहेगा साथ।
पर धन तो टिकता नहीं,खाली रहता हाथ।।१२३।।

श्रम की रोटी  में सदा, रहती खूब मिठास।
मन को मिलती शांति है,उर में रहे उजास।।१२४।।

काम करे जो नीति की,होती जय जयकार।
ईश्वर   भी  देते  उन्हें, अपना  प्यार  दुलार।।१२५।।
 #दोहे #नीति #विश्वासी
आज के दोहे

पर धन की इच्छा कभी,नहीं करो जी आप।
पर धन  की इच्छा  सदा, होता  है  जी पाप।।१२२।।

जो कुछ धन  है आपका, वही रहेगा साथ।
पर धन तो टिकता नहीं,खाली रहता हाथ।।१२३।।

श्रम की रोटी  में सदा, रहती खूब मिठास।
मन को मिलती शांति है,उर में रहे उजास।।१२४।।

काम करे जो नीति की,होती जय जयकार।
ईश्वर   भी  देते  उन्हें, अपना  प्यार  दुलार।।१२५।।
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