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मनुष्य जब तक साँसारिक अभिमान में भूला रहता है तब त

मनुष्य जब तक साँसारिक अभिमान में भूला रहता है तब तक उसकी शक्ति और सामर्थ्य बिल्कुल तुच्छ और नगण्ड होती है। तुच्छ और नगण्ड
मनुष्य जब तक साँसारिक अभिमान में भूला रहता है तब तक उसकी शक्ति और सामर्थ्य बिल्कुल तुच्छ और नगण्ड होती है। तुच्छ और नगण्ड
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