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बेबस ये मन लाचार सा है उस इश्क़ में ये बीमार सा है

बेबस ये मन लाचार सा है
उस इश्क़ में ये बीमार सा है

हो चला है करने मनमर्जी
बारिश के जैसा ख़ुमार सा है

क्या क्या सोचे है ये दिन भर
जैसे सालों के साल सा है

मुझसे मुझको ही छीन लिया
 फिर भी चाहत ही यार का है
§©®_अंजान लेखक™§ #इश्क़
बेबस ये मन लाचार सा है
उस इश्क़ में ये बीमार सा है

हो चला है करने मनमर्जी
बारिश के जैसा ख़ुमार सा है

क्या क्या सोचे है ये दिन भर
जैसे सालों के साल सा है

मुझसे मुझको ही छीन लिया
 फिर भी चाहत ही यार का है
§©®_अंजान लेखक™§ #इश्क़