दूर हूँ तुमसे और...मज़बूर भी हूँ सनम! ना मैं मिल सकती,ना तुम पास हमदम! मेरे नजरों से जितने..दूर हो तुम सनम! पाकीज़ा मोहब्बत है उतनी ही हमदम! है ग़लत इल्ज़ाम..बहुत ही मुझपे सनम! हर एक कि मुझपर रहती नज़र हमदम! मग़र मैंने ली है क़सम छोड़ूगी ना दामन! यकीं रख ख़ुदा पे,उसका है हमपर करम! साथ रहे हमेशा अपना आज,कल और हरदम! मीट जाएं हम चाहे, आवाद रहे इश्क़ जन्मों-जन्म! ♥️ Challenge-719 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।