थक गए तो थकन छोड़ के जा सकते हो तुम मुझे वाक़यतन छोड़ के जा सकते हो हम दरख़्तों को कहां आता है हिजरत करना तुम परिंदे हो वतन छोड़ के जा सकते हो तुमसे बातों में कुछ इस दर्जा मगन होता हूं मुझको बातों में मगन छोड़ के जा सकते हो ऐसे आ सकते हो जैसे कोई ख़ुशबू आए और जाने को घुटन छोड़ के जा सकते हो अम्मार इकबाल . ©saru writes #अम्मार_इकबाल